ROSE DAY SAYAR--E SAYARI LOVE - E Shayari Love

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Wednesday, March 14, 2018

ROSE DAY SAYAR--E SAYARI LOVE

राज़ खोल देते हैं नाजुक से इशारे अक्सर,
कितनी खामोश मोहब्बत की जुबान होती है।

यही बहुत है कि तुमने पलट के देख लिया,
ये लुत्फ़ भी मेरी उम्मीद से कुछ ज्यादा है।

खामोशियों में धीमी सी आवाज़ है,
तन्हाईयों में भी एक गहरा राज़ है,

मिलते नही हैं सबको अच्छे दोस्त यहाँ,
आप जो मिले हो हमें खुद पर नाज़ है।

अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिसने भी मोहब्बत की,
मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई।

क्या खूब ही होता अगर दुख रेत के होते,
मुठ्ठी से गिरा देते... पैरो से उड़ा देते।

उसको हर चंद अंधेरों ने निगलना चाहा,
बुझ न पाया वो मोहब्बत का दिया है शायद।

लम्हों में क़ैद कर दे जो सदियों की चाहतें,
हसरत रही कि ऐसा कोई अपना तलबगार हो।

आँख रखते हो तो उस आँख की तहरीर पढ़ो,
मुँह से इकरार न करना तो है आदत उसकी।

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