दर्द भी वही और राहत भी वही,
मेरी मूश्किलें और, बुरी आदत भी वही,
उसे भुलना हर सहर मकसद है
हर सुबह फिर बेमतलब सी चाहत भी वही
मेरी मूश्किलें और, बुरी आदत भी वही,
उसे भुलना हर सहर मकसद है
हर सुबह फिर बेमतलब सी चाहत भी वही
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..............✍️ E SAYARI LOVE










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